Not mine
but by someone named Kanupriya
एक को 'ग़बन' के सफहों के बीच बुक-मार्क बना के रख छोड़ा
कुछ को कॉफ़ी के संग निगल लिया
कईयों को अख़बार की तरह -
सरसरी निगाह से देख भर के किनारे रख दिया
कुछ दिन अब भी कनाट प्लेस के सर्कल्स के चक्कर ही लगा रहे हैं
दफ्तर के दिन, हम बस ऐसे बिता रहे हैं!
Office Days
One is now a bookmark for 'Ghaban'
Some were gulped down with a hurried cappuccino
Many were just glanced upon like a newspaper, and cast aside
Some days are still hanging around at Connaught Place
This is how I'm spending, my office days!
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें