शनिवार, फ़रवरी 04, 2012

Days of office

Not mine

but by someone named Kanupriya

एक को 'ग़बन' के सफहों के बीच बुक-मार्क बना के रख छोड़ा
कुछ को कॉफ़ी के संग निगल लिया
कईयों को अख़बार की तरह -
सरसरी निगाह से देख भर के किनारे रख दिया

कुछ दिन अब भी कनाट प्लेस के सर्कल्स के चक्कर ही लगा रहे हैं
दफ्तर के दिन, हम बस ऐसे बिता रहे हैं!

Office Days

One is now a bookmark for 'Ghaban'
Some were gulped down with a hurried cappuccino
Many were just glanced upon like a newspaper, and cast aside

Some days are still hanging around at Connaught Place
This is how I'm spending, my office days!

कोई टिप्पणी नहीं: