मेरे रोने का जिसमे किस्सा है...उम्र का बेहतरीन हिस्सा है
निंद से मेरा... ताल्लुक ही नही बरसो से... ख्वाब आ आ के... मेरी छत पे टहलते क्यो है..
फुरसत मिले तो पूछ कभी उनका हाल भी जो लोग जी रहें हैं तेरे प्यार के बगैर..
एक शरीफ आदमी को क्या चाहिए? एक बीवी जो प्यार करे एक बीवी जो अच्छा खाना बनाए एक बीवी जो बच्चों को संभाले और तीनों बीवियां मिलजुल कर रहें…बस
निंद से मेरा... ताल्लुक ही नही बरसो से... ख्वाब आ आ के... मेरी छत पे टहलते क्यो है..
फुरसत मिले तो पूछ कभी उनका हाल भी जो लोग जी रहें हैं तेरे प्यार के बगैर..
एक शरीफ आदमी को क्या चाहिए? एक बीवी जो प्यार करे एक बीवी जो अच्छा खाना बनाए एक बीवी जो बच्चों को संभाले और तीनों बीवियां मिलजुल कर रहें…बस
न पाने से किसी के है, न कुछ खोने से मतलब है / ये दुनिया है इसे तो कुछ न कुछ होने से मतलब है ... ~वसीम बरेलवी
'वसीम' रूठ गए वो, तो रूठ जाने दो / ज़रा सी बात है, बढ जायेगी मनाने से ~ वसीम बरेलवी
अजीब शख्स है, नाराज होकर भी हंसता है / मैं चाहता हूं, नाराज रहे तो नाराज ही दिखे ~बशीर बद्र
" ये हुनर भी बड़ा ज़रूरी है, कितना झुक कर किसे सलाम करो
दिल ने हमसे जो कहा, हमने वैसा ही किया / फ़िर कभी फ़ुरसत से सोचेंगे बुरा था या भला .
भीग जाने का अपना अलग लुत्फ़ है^बारिशों में निकल कर नहाया करो !
~नीरज
तुम जो रूठो तो कोई मनाये तुम्हें^कोई रूठे तो तुम भी मनाया करो ॥
~नीरज
गुम न हो जाय साझी विरासत कहीं,अपने बच्चों को किस्से सुनाया करो !
~नीरज
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें