कहते है कि आता है मुसीबत में खुदा याद,
हम पर तो पड़ी वह कि खुदा भी न रहा याद|
हम देखेंगे यह नज्म फैज़ अहमद फैज़ की अन्य नज्मो में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है और यह नज्म पाकिस्तान में इस्बाल बानो द्वारा अपने पुरे शबाब पर गाई गयी है लीजिए पेश है:
हम देखेंगे
लाजिम है के हम भी देखेंगे
वो दिन के जिसका वादा है
जो लौह-ए-अजल में लिक्खा है
हम देखेंगे…
जब जुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गराँ
रुई की तरह उड़ जायेंगे
हम महकूमो के पाँव-तले
जब धरती धड धड धड्केगी
और अहल-ए-हिकम के सर ऊपर
जब बिजली कड-कड कड़केगी
हम देखेंगे…
जब अर्ज-ए-खुदा के काबे से
सब बुत उठवाए जायेंगे
हम अहल-ए-सफा, मर्दूद-ए-हरम
मसनद पे बिठाये जायेंगे
सब ताज उछाले जायेंगे
सब तख़्त गिराए जायेंगे
हम देखेंगे…
बस नाम रहेगा अल्लाह का
जो गायब भी है हाजिर भी
जो मंजर भी है, नाज़िर भी
उट्ठेगा ‘अनल हक़’ का नारा
जो मै भी हू और तुम भी हो
और राज करेगी खल्क-ए-खुदा
जो मै भी हू और तुम भी हो
हम देखेंगे… – फैज़ अहमद फैज़
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