शुक्रवार, सितंबर 06, 2013

‘आँसू’

जो घनीभूत पीड़ा थी
मस्तक में स्मृति-सी छायी
दुर्दिन में आँसू बनकर
जो आज बरसने आयी।
ये मेरे क्रंदन में बजती
क्या वीणा? - जो सुनते हो
धागों से इन आँसू के
निज करुणा-पट बुनते हो।
रो-रोकर, सिसक-सिसककर
कहता मैं करुण-कहानी
तुम सुमन नोचते सुनते
करते जानी अनजानी।

कबीर दास

झीनी झीनी बीनी चदरिया ॥
काहे कै ताना काहे कै भरनी,
कौन तार से बीनी चदरिया ॥ १॥
इडा पिङ्गला ताना भरनी,
सुखमन तार से बीनी चदरिया ॥ २॥
आठ कँवल दल चरखा डोलै,
पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया ॥ ३॥
साँ को सियत मास दस लागे,
ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया ॥ ४॥
सो चादर सुर नर मुनि ओढी,
ओढि कै मैली कीनी चदरिया ॥ ५॥
दास कबीर जतन करि ओढी,
ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया ॥ ६॥

रविवार, सितंबर 01, 2013

Meri Pasand

from my twitter timeline

तर्के-मोहब्बत करने वालों, कौन ऐसा जग जीत लिया / इश्क के पहले के दिन सोचो, कौन बडा सुख होता था

kifayat ehsaason mein rakhna, aisi bhi kya kadki hai?

'Between my finger and my thumb The squat pen rests; snug as a gun.' ~ Seamus Heaney, Irish poet, dies at 74

जिसे पढने से पहले चूमती तुम , मैं उस बेनाम खत जैसा रहा हूँ ।

Dil dharkne laga hai seene main ... Kya mera naam phir liya tum ne

मोहब्बत ज़िन्दगी की सबसे मुश्किल आजमाईश है, मगर ये आजमा लेने के काबिल आजमाईश है ...

Mausam ki misaal dun ya tumhari....?????? Koi pooch baitha hai,badalna kis ko kehtay hain.

Ap se Bicher kr Hoosh Salamat hai Magar,,, // Mai'n Rasto'n se Ghar ka Pata puchta hun

सूफी संत चले गए, सब जंगल की ओर। मंदिर मस्जिद में मिले, रंग बिरंगे चोर ।।

A girl realizes the pain of break up only when...................................She has to pay the pizza bill herself...

किसे पता था तुझे इस तरह सजाऊँगा। जमाना देखेगा और मैं न देख पाऊँगा।

Hijaar Kay Lamhay Zakhmi, Zakhmi Uski Yadain Marhum, Marhum. . .

Ajab rangon main guzri hai zindagi apni, Dilon pe raaj kia lekin muhabbat se mehroom rahe.

Give yourself permission to immediately walk away from anything that gives you bad vibes. No need to explain or try to make sense of it.

'Come back and make up a goodbye at least. Let's pretend we had one.' ~ Eternal Sunshine Of The Spotless Mind

Constantly talking isn't necessarily communicating. ~ Eternal Sunshine Of The Spotless Mind

Behen,Kaise kar leti ho 24*7 Ranting?

ज़रा सा दिलफेंक है वो , पसंदीदा अदा थी वो, फिर उसका फेंका हुआ दिल कोई और ले गया और उसने ले जाने दिया।

दिल हो रहा है देर से खामोश झील सा / क्या दोस्तों के हाथ में पत्थर नहीं कोई ?.


तेरी महफ़िल से उठे तो किसी को खबर तक ना थी, तेरा मुड़-मुड़कर देखना हमें बदनाम कर गया

हम न समझे .. तेरी नज़रों का तक़ाज़ा क्या है ..! कभी परदा कभी जलवा .. ये तमाशा क्या है ..!!

अब जो सर नहीं तेरा .. मेरे काँधों पर .. उंगलियाँ कुछ बेरोज़गार सी है ...........!

किस किस की मानें, किस किस की सुनें / चलिए दो पल अपनी मर्ज़ी से जियें ~

मंदिरों में सफाई की दशा से विश्वास दृढ़ होता है कि भगवान को वाराहावातार में रहना प्रिय है।

"ChaLo MaaNa Tumhari AadaT Hai TarpaaaNa",! "Zara SochO, Koi Mar Gya To KYaa KrO Gy",!

दिल भी बुझा हो शाम की परछाइयाँ भी हों मर जाइये जो ऐसे में तन्हाइयाँ भी हों

वो मेरी नही किसी और की किस्मत में है, अगर ये सच भी है तो मुझे बताया ना करो..

करूं न याद उसे मगर किस तरह भुलाऊं उसे ग़ज़ल बहाना करूं और गुनगुनाऊं उसे।

कभी वो गुफ़्तगू जैसे के कुछ छुपा ही नहीं, कभी वो बोलती आँखों का राज़ हो जाना

हंगामा हैं क्यूँ बरपा .....एक ट्वीट ही तो चुराई है

"आसमां के पार शायद और कोई आसमां होगा // बादलों के पर्वतों पर कोई बारिश का मकां होगा"

"कलियों का चमन, जब बनता हैं" तो क्या क्या सामाग्री लगती है...विस्तृत वर्णन करें? :P

फ़ोन वो खुशबू कहाँ से लाएगा वे जो आती थी तुम्हारी चिट्ठियों से

ये रेशमी डोरियाँ क्यों , कहाँ -कहाँ ,किस -किस तरह जुडी हैं। ……………जाने वही जाने !!

वो शाख़ है न फूल, अगर तितलियाँ न हों... वो घर भी कोई घर है जहाँ बच्चियाँ न हो...

कुछ दिन तो बसो मेरी आँखों में ... फिर ख्वाब अगर हो जाओ तो क्या

उनको देखने की चाह में ज़िंदगी तमाम हुई जाती है कल की किसको ख़बर यहाँ यहाँ तो आज की भी शाम हुई जाती है

मरने की बात पर जो रखते थे उंगलियाँ मेरे होंठो पर.......आगे चल के वही लोग मेरे कातिल निकले ....!!

कोई अपना नहीं है अपने सिवा, दूसरा दूसरा ही होता है

बिन किराये के ले लिया मुझसे ............ एक हिस्सा मकान चिड़िया ने

चेहरा वही था चेहरे का लिबास वही था कैसे उसे बेवफा कह दूं ,, आज भी देखने का अंदाज़ वही था..

तू मेरे पास भी हैं, तू मेरे साथ भी हैं फिर भी तेरा इंतज़ार हैं

""अगर शिकवे है तो गुफतगु करो, यूं चुप रहने से दुश्मनी का गुमा होता है....(*)

मेरे इरादे ही खुद मेरी तकदीर बदलेगे मेरी किस्मत नही मोहताज हाथो की लकीरो की ।।।

ये फ़ासले तेरी गलियों के हमसे तय ना हुए हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चले

खुशियाँ प्रीमियम की तरह आयीं.....जिंदगी के खाते में.....

नरेंद्र = नर + इन्द्र = नरों के देव । राहुल= राहु + ल = नाम मे ही पनौती साला...!!

दुकान तो लगा ली उन्होंने मोहब्बत की - पर पता चला है की सामान मिलावटी है!

दो मुट्ठी सिक्कों के बदले मुट्ठी एक अनाज की, जय हो ऐसे लोकतंत्र की जय हो ऐसे राज़ की.

वो घर में मेज़ पे कोहनी टिकाये बैठी है / थमी हुई है वहीं उम्र आजकल, लोगो 

हाल-ए-दिल नहीं मालूम, लेकिन इस कदर यानी / हमने बारहा ढूँढा, तुमने बारहा पाया ...

Na main tumse koi ummeed rakkhoon dil-nawazi ki Na tum meri taraf dekho galat-andaaz nazron se

जब मैं रातो में, तारे गिनता हूँ / और तेरे कदमों की, आहट सुनता हूँ / लगे मुझे हर तारा, तेरा दर्पण

"Inteha ho gayi intezaar ki, Maa ki aankh, aise pyaar ki."

 

मंगलवार, जुलाई 30, 2013

couplet

मेरे रोने का जिसमे किस्सा है...उम्र का बेहतरीन हिस्सा है

निंद से मेरा... ताल्लुक ही नही बरसो से... ख्वाब आ आ के... मेरी छत पे टहलते क्यो है..

फुरसत मिले तो पूछ कभी उनका हाल भी जो लोग जी रहें हैं तेरे प्यार के बगैर..

एक शरीफ आदमी को क्या चाहिए? एक बीवी जो प्यार करे एक बीवी जो अच्छा खाना बनाए एक बीवी जो बच्चों को संभाले और तीनों बीवियां मिलजुल कर रहें…बस

न पाने से किसी के है, न कुछ खोने से मतलब है / ये दुनिया है इसे तो कुछ न कुछ होने से मतलब है ... ~वसीम बरेलवी

'वसीम' रूठ गए वो, तो रूठ जाने दो / ज़रा सी बात है, बढ जायेगी मनाने से ~ वसीम बरेलवी 

अजीब शख्स है, नाराज होकर भी हंसता है / मैं चाहता हूं, नाराज रहे तो नाराज ही दिखे ~बशीर बद्र
 
" ये हुनर भी बड़ा ज़रूरी है, कितना झुक कर किसे सलाम करो 

दिल ने हमसे जो कहा, हमने वैसा ही किया / फ़िर कभी फ़ुरसत से सोचेंगे बुरा था या भला .

भीग जाने का अपना अलग लुत्फ़ है^बारिशों में निकल कर नहाया करो ! ~नीरज

तुम जो रूठो तो कोई मनाये तुम्हें^कोई रूठे तो तुम भी मनाया करो ॥ ~नीरज

 गुम न हो जाय साझी विरासत कहीं,अपने बच्चों को किस्से सुनाया करो ! ~नीरज



बुधवार, जुलाई 24, 2013

Suicide?



Dorothy Parker:

Razors pain you,
Rivers are damp,
Acids stain you,
And drugs cause cramp.
Guns aren’t lawful,
Nooses give,
Gas smells awful,
You might as well live.

रविवार, मई 12, 2013

on mother's day

माँ तू अंधेरो मे मुझे रोशनी सी लगती है तुझ से मिलती हु जिन्दगी-२ सी लगती है ..

ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया, माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया।

मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं मां से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ।

ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है। 

''फिर आना और मेरी कॊख से पैदा होना ...गर मैं बची रही'' (जमीन बोली थी पेड़ से)

सोमवार, अप्रैल 29, 2013

Some thoughts

ये तो अचछा है कि सिर्फ़ सुनता है दिल, अगर बोलता तो क़यामत होती।

जब हुई थी मोहब्बत तो लगा किसी अच्छे काम का असर है....!! खबर ना थी हमे कि गुनाहो की ऐसी भी सजा होती है...!!


ये कमबख्त हिचकियाँ थमती क्यूं नहीँ... किसी के जहन मेँ आकर यूं अटक गया हूँ मैँ..

तू भी मिलता है तो, मतलब से ही मिलता है..!! लग गए तुझको भी, सब रोग ज़माने वाले..!!


बिछड़ना है तो रूह से निकल जाओ,, रही बात दिल की तो ..... उसे हम देख लेंगे 

तेरे नाम से अब मशहूर हूँ शहर में..... बस तू ही नहीं इक पहचानता मुझे।

क्या फरक कि मैं चला या तू चला है , बात है कि फासला कुछ कम हुआ है |

ये कुर्सी मेज़ कितने ही नये तुमने सजाये हैं... तुम्हें महफूज़ रखती है, वो छत कितनी पुरानी है.

सुना था आसमान भी कहीं पे झुकता है.... इसी उम्मीद में जमीन भी मेरी गई...

आजकल मुझसे वो बात करता नहीं ,, और अब क्या जमाना खराब आएगा

वो रूठे हे कुछ इस तरह की बगल में बैठ कर भी बात नही कर रहे हें..

रात भर आसमां में हम चाँद ढूढते रहे चाँद था कि चुपके से मिरे आँगन में उतर आया!!

दुनिया के सारे हक़ , सारे फैसले तेरे मुझे क्या चाहिए इक तेरे सिवा !!

सज़ा दें.. सिला दें.. बना दें.. मिटा दें ... मगर वो कोई .. फ़ैसला तो सुना दें 

दिल के किस्से कहां नहीं होते हां ये सबसे बयां नहीं होते. - साक़िब लखनवी

Swaang Songs

ENGLISH TRANSLATION of ' Maa Nee Meri'
Mixed in every morsel,
What was that chant you kept repeating?
In the garb of concern and worry,
Why was fear the only virtue I learnt of your teaching?
Mother, I will not fear
Mother, I will not become you.

Drown! I shall drown, but not succumb into swimming with the tide;
Walk! I shall close these eyes and walk,
Slipper in hand, I shall stand!
Walk! I shall close these eyes and walk,
Drown! I shall drown, but not succumb into swimming with the tide;
Walk! I shall close these eyes and walk
Mother, I will not fear
Mother, I will not become you.

This is not the doing of cities,
This was committed neither by the Day nor the Night,
This is not the doing of lonely desolate streets,
Neither are windows and curtains guilty of this crime,

The length of garments are not responsible,
This is neither the doing of men, nor impotents..
You were amongst those six,
This is the doing of well wishers
Mother, I will not fear
Mother, I will not become you.

Father, this is your doing.
Every time you said to me,
My child, come home soon,
What was it you feared would be?
I am luggage, I will be stolen,
I began to feel that day..
It was you who gave them the audacity,
Every time you reprimanded me that way..
They who fear and run from Dogs
Are chased and bitten in the flesh,

But stand your ground and look the in the eye,
And watch them slink away, tail between thigh..
You were amongst those six,
This is the doing of well wishers

Your religion, even your God fears them,
Perhaps that is why he sounds like them,
"Woman is dwarf-like and weak,
Looks best sitting at home, pretty and meek."

The priest, the cleric, the monk, the ascetic,
May have showered this world with their blessings,
But my forehead will not bow to them.
I will die, but not come to you.
God! I will not come to you!

Drown! I shall drown, but not succumb into swimming with the tide;
Walk! I shall close these eyes and walk,
Slipper in hand, I shall stand!
Walk! I shall close these eyes and walk,
Mother, I will not fear
Mother, I will not become you.

Policeman! This is your doing
Your thoughts are identical to theirs
In the drawstrings of your pants camp typical male airs,
"If you value your honour, stay at home"
You sing along to their tune
Your well fed tummy stands tall on boots,
Tightly laced by crime and to injustice immune.
What hope can one have of you,
When he the head and you shoulder
To live fearlessly on your guarantee is to gamble our lives and throw it over the boulder..

Your assertions of authority betray your hidden tail,
And you wear in your neck the politician's khadi collar!
You were amongst those six,
This is the doing of well wishers

This is your doing Politician, O leader of men..
All those six were members of your creed
2002 and 1992 saw you too pull at salwars in lusty greed
And when in 1984 that 'great' tree fell
You too were a bloodsucking leech in those shadows of hell
Your hands have fed grain to them
They are mere glimpses of your sins
You are all made from the same clay
These are your comrades and brethren.

Make the crocodile your symbol, your flag
For these are the monsters you've fathered, and they wear your name tag..
You were amongst those six,
This is the doing of well wishers

I heard once that my land was free,
Why then should I remain a slave?
I never dreamt of Prince Charming,
I never wanted to be Queen of his enclave..
Mother of mine! You poor doll of clay..
I will not remain a mute sculpture, not even today!
Slipper in hand, I shall stand!
Walk! I shall close these eyes and walk,
Drown! I shall drown, but not succumb into swimming with the tide;
Walk! I shall close these eyes and walk,

And you who surround me now concerned
Keep at it!
Each time there occurs an 'incident'
Discuss, debate, analyse
Build mountains of argument
When you suffer a crime
It is a question of 'life'
When I am attacked
Why is the question of 'honour' rife?
This is a battle to be equal
To be counted as one who is Alive
Hide not this searing burning wound
In a two and a half inch hole, between the legs inside.

Look Mother! Look how I fought
I was one, they were six
But afraid I was not
Every time they touched me, I bit, I bit
I fought, I fought and till they tired I hit
I spat! I spat upon their faces
I spat! I spat like they were shit

Mother, I will not fear
Mother, I will not become you.
Mother, I will not fear

Proud of myself am I
I rendered them helpless and returned, I did not sigh
I returned to laugh! To laugh without a care
I returned to settle, to prosper, to live, to dare..

Mother I will not die ...



रविवार, अप्रैल 28, 2013

reason of sorrow

"​​इसी सबब से हैं शायद, ​​अज़ाब जितने हैं ,
झटक के फेंक दो, पलकों पे ख्वाब जितने हैं"

वस्ल-ए-यार

अजब अपना हाल होता अगर वस्ल-ए-यार होता,
कभी जान सदक़े होती कभी दिल निसार होता,

ना मज़ा है दुश्मनी में ना है लुत्फ़ दोस्ती में,
कोई गैर गैर होता कोई यार यार होता,

ये मज़ा था दिल्लगी का के बराबर आग लगती,
ना तुम्हे क़रार होता ना हमें क़रार होता,

तेरे वादे पर सिटमगर अभी और सब्र करते,
अगर अपनी ज़िंदगी का हमें ऐतबार होता...

रविवार, दिसंबर 30, 2012

On delhi rape

three poems which i came across and hit me hard

द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आयंगे

छोडो मेहँदी खडक संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाये बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे |

कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयेंगे |

कल तक केवल अँधा राजा,अब गूंगा बहरा भी है
होठ सील दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझायेंगे?
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे |



लो ख़त्म हुई आपाधापी, लो बंद हुई मारामारी
लो जीत गई सत्ता फिर से, लो हार गई फिर लाचारी
कल सात समंदर पार कहीं इक आह उठी थी दर्द भरी
तब से जनता है ख़फ़ा-ख़फ़ा, तब से सत्ता है डरी-डरी
सोचो अंतिम पल में उसका कैसा व्यवहार रहा होगा
नयनों में पीर रही होगी, लब पर धिक्कार रहा होगा
जब सुबह हुई तो ये दीखा, बस ग़ैरत के परखच्चे हैं
इक ओर अकड़ता शासन है, इक ओर बिलखते बच्चे है
जनता के आँसू मांग रहे, पीड़ा को कम होने तो दो
तुम और नहीं कुछ दे सकते, हमको मिलकर रोने तो दो
सड़कों की नाकाबंदी करके, ढोंग रचाते फिरते हो
अभिमन्यु की हत्या करके, अब शोक जताते फिरते हो
जो शासक अपनी जनता की रक्षा को है तैयार नहीं
उसको शासक कहलाने का, रत्ती भर भी अधिकार नहीं


समय चलते मोमबत्तियां, जल कर बुझ जाएंगी..

श्रद्धा में डाले पुष्प, जलहीन मुरझा जाएंगे..

स्वर विरोध के और शांति के अपनी प्रबलता खो देंगे..

किंतु निर्भयता की जलाई अग्नि हमारे हृदय को प्रज्जवलित करेगी..

जलहीन मुरझाए पुष्पों को हमारी अश्रु धाराएं जीवित रखेंगी...

दग्ध कंठ से 'दामिनी' की 'अमानत' आत्मा विश्व भर में गूंजेगी..

स्वर मेरे तुम, दल कुचल कर पीस न पाओगे..

मैं भारत की मां बहन या या बेटी हूं,

आदर और सत्कार की मैं हकदार हूं..

भारत देश हमारी माता है,

मेरी छोड़ो अपनी माता की तो पहचान बनो !!

गुरुवार, जुलाई 05, 2012

Piyush Mishra

इक बगल में चाँद होगा, इक बगल में रोटियां
इक बगल में नींद होगी, इक बगल में लोरियां
हम चाँद पे रोटी की चादर डालकर सो जायेंगे
और नींद से कह देंगे लोरी कल सुनाने आयेंगे

इक बगल में खनखनाती सीपियाँ हो जाएँगी
इक बगल में कुछ रुलाती सिसकियाँ हो जाएँगी
हम सीपियों में भरके सारे तारे छूके आयेंगे
और सिसकियों को गुदगुदी कर कर के यूँ बहलाएँगे

अब न तेरी सिसकियों पे कोई रोने आएगा
गम न कर जो आएगा वो फिर कभी न जायेगा
याद रख पर कोई अनहोनी नहीं तू लाएगी
लाएगी तो फिर कहानी और कुछ हो जाएगी

होनी और अनहोनी की परवाह किसे है मेरी जां
हद से ज्यादा ये ही होगा की यहीं मर जायेंगे
हम मौत को सपना बता कर उठ खड़े होंगे यहीं
और होनी को ठेंगा दिखाकर खिलखिलाते जायेंगे

रविवार, जुलाई 01, 2012

क्यों तू अच्छा लगता है

क्यों तू अच्छा लगता है
वक़्त मिला तो सोचेंगे
तुझ में क्या क्या देखा है
वक़्त मिला तो सोचेंगे
सारा शहर शानासाई का दावेदार तो है लेकिन
कौन हमारा अपना है
वक़्त मिला तो सोचेंगे
हमने उसको लिखा था
कुछ मिलने की तदबीर करो
उसने लिखकर भेजा है
वक़्त मिला तो सोचेंगे
मौसम, खुशबू, बादे-सबा, चाँद, शफक और तारों में
कौन तुमारे जैसा है
वक़्त मिला तो सोचेंगे
या तो अपने दिल की मानो
या फिर दुनिया वालों की
वक़्त मिला तो सोचेंगे
क्यों तू अच्छा लगता है
वक़्त मिला तो सोचेंगे

सोमवार, मई 28, 2012

गंगा की धार

विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निशब्द सदा, ओ गंगा तुम, बहती हो क्यूँ ? नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई, निर्लज्ज भाव से, बहती हो क्यूँ ? इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को, सबल संग्रामी, समग्रगामी, बनाती नहीं हो क्यूँ ? अनपढ जन, अक्षरहीन, अनगिन जन, भाग्य विहीन नेत्र विहिन देख मौन मौन हो क्यूँ ? व्यक्ति रहे, व्यक्ति केन्द्रित, सकल समाज, व्यक्तित्व रहित, निष्प्राण समाज को तोड़ती न क्यूँ ? तेजस्विनी, क्यों न रही तुम निश्चय इतना नहीं प्राणों में प्रेरणा देतीं न क्यूँ उन्मद अवनी, कुरुक्षेत्र बनी, गंगे जननी नवभारत में भीष्म रूपी सुत समरजयी जनती नहीं हो क्यूँ ?

बुधवार, मई 23, 2012

हॅपी-सॅड

Eeh..Silent movie, thoda sound de na! Tu sad sad kyon hai, happy-sad kyon nahi? Hum sad kyun hote hain? Kyonki mann bhaari hai, heavy heavy! Mann kab heavy, heavy hota hai? Jab mann ko koi hurt karta hai! Mann ko kon itna hurt kar sakta hai? Jo mann ke very very close hota hai! Mann ke very very close kon hota hai? Jiske sang mann very very happy feel karta hai! Happy tha, isliye sad hai na, So be happy-sad not sad-sad!”

ऐ..साइलेंट मूवी, थोड़ा साउंड दे ना! तू सॅड सॅड क्यों है, हॅपी-सॅड क्यों नही? हम सॅड क्यूँ होते हैं? क्योंकि मंन भारी है, हेवी हेवी! मंन कब हेवी, हेवी होता है? जब मंन को कोई हर्ट करता है! मॅन को कोन इतना हर्ट कर सकता है? जो मॅन के वेरी वेरी क्लोज़ होता है! मॅन के वेरी वेरी क्लोज़ कोन होता है? जिसके संग मॅन वेरी वेरी हॅपी फील करता है! हॅपी था, इसलिए सॅड है ना, सो बे हॅपी-सॅड नोट सॅड-सॅड!”

शुक्रवार, अप्रैल 06, 2012

Amzing Grace

by one of hte person who played an important role in abolisihing slave trade in 18th century
a former slave ship captain who became a repentent priest later
Amazing GraceAmazing grace! (how sweet the sound!)
That sav'd a wretch like me!
I once was lost, but now am found;
Was blind, but now I see.

'Twas grace that taught my heart to fear,
And grace my fears reliev'd;
How precious did that grace appear,
The hour I first believ'd!

Thro' many dangers, toils, and snares,
I have already come;
'Tis grace has brought me safe thus far,
And grace will lead me home.

The Lord has promis'd good to me,
His word my hope secures;
He will my shield and portion be,
As long as life endures.

Yes, when this flesh and heart shall fail,
And mortal life shall cease;
I shall possess, within the veil,
A life of joy and peace.

This earth shall soon dissolve like snow,
The sun forbear to shine;
But God, who call'd me here below,
Will be for ever mine.

John Newton

बुधवार, अप्रैल 04, 2012

some couplets

from orkut community
not mine

हर बात में सुकून हो यह हो नहीं सकता !
कोई बात कभी कलेजे के पार हो जाती !!

जुगनुओं ने अभी हिम्मत नहीं हारी है !
उनकी जंग अँधेरे के खिलाफ जारी है !!

सूखे पत्तों की तरह बिखरे थे हम...
किसी ने समेटा भी तो बस जलाने के लिए....

तुम मिले हो तो अब यही गम है......
प्यार ज्यादा है, ज़िन्दगी कम है....


तुम मिले हो तो अब यही गम है......
प्यार ज्यादा है, ज़िन्दगी कम है....

खुदा' होना था, तो हो जाते, किसने रोका था ?
कम से कम, दोस्ती का हुनर तो ज़िंदा रखते

तेरी खामोशी मुझे तेरी ओर खींचती है
मरी हर आह तेरी तकलीफ समझती है
मालूम है कि मजबूर है तू
फिर भी मेरी नज़र तेरे दीदार को तरसती है

कुछ तो मज़बूरियाँ रही होंगी, यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता
दिल ने तो कहना बहुत चाहा मगर, क्या करें हौसला नहीं होता...


आज उनका शायराना अंदाज देख के दिल तड़प उठा...
जो हमेशा हमको कहते थे क्या बेतुकी बाते करते हो..

इश्क-ए-बुतां करूँ , कि यादे खुदा करूँ
इस छोटी सी उम्र में मैं क्या-क्या खुदा करूँ


जिंदगी आधी बीत गयी चंद रिश्तों को निभाने मैं,
कुछ रूठने में कुछ मानाने मैं,
वक्त बदला रिश्ते बदले रिस्तो के अब तो मायने बदल गए,
अब बीतता है सारा वक्त,
उन अपनों को भुलाने मैं...♪

किसी से बात कोई आजकल नहीं होती
इसीलिए तो मुकम्म्ल ग़ज़ल नहीं होती

ग़ज़ल सी लगती है लेकिन ग़ज़ल नहीं होती
सभी की ज़िंदगी खिलता कँवल नहीं होती

तमाम उम्र तजुर्बात ये सिखाते हैं
कोई भी राह शुरु में सहल नहीं होती

मुझे भी उससे कोई बात अब नहीं करनी
अब उसकी ओर से जब तक पहल नहीं होती

वो जब भी हँसती है कितनी उदास लगती है
वो इक पहेली है जो मुझसे हल नहीं होती

आज फिर यह आँखें नम क्यूँ हैं,

जिसे पाया ही नहीं उसे खोने का गम क्यूँ है,

तुझसे मिलके बिछड़े तोह एहसास हुआ,

कि ज़िन्दगी इतनी कम क्यूँ है... :-(

देख ले ज़ालिम शिकारी ! माँ की ममता देख ले
देख ले चिड़िया तेरे दाने तलक तो आ गई

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

जब कभी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है

शरारत न होती तो शिकायत न होती नैनो में किसी के नजाकत न होती

न होती बेकरारी न होते हम तन्हां अगर जहाँ में ये मोहब्बत न होती

हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी,
फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी,

सुबह से शाम तक बोझ ढ़ोता हुआ,
अपनी लाश का खुद मज़ार आदमी,

हर तरफ भागते दौड़ते रास्ते,
हर तरफ आदमी का शिकार आदमी,

रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ,
हर नए दिन नया इंतज़ार आदमी,

जिन्दगी का मुक्कदर सफ़र दर सफ़र,
आखिरी साँस तक बेकरार आदमी

रविवार, अप्रैल 01, 2012

फ़ासले

यह फ़ासले तेरी गलियों के हमसे तय ना हुए, हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चले , ना जाने कौन सी मिट्टी वतन की मिट्टी थी, नज़र में धूल, जिगर में लिए गुबार चले - गुलज़ार

Ramnavami

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी। हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी। भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी।।

अर्थात् दीनों पर दया करने वाले, कौसल्याजी के हितकारी कृपालु प्रभु प्रकट हुए। मुनियों के मन को हरने वाले उनके अद्भुत रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गई। नेत्रों को आनंद देने वाला मेघ के समान श्याम शरीर था, चारों भुजाओं में अपने (खास) आयुध (धारण किए हुए) थे, (दिव्य) आभूषण और वनमाला पहने थे, बड़े-बड़े नेत्र थे। इस प्रकार शोभा के समुद्र तथा खर राक्षस को मारने वाले भगवान प्रकट हुए।

नौमी तिथि मधुमास पुनीता। । सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।
मध्य दिवस अति शीत न घामा। पावन काल लोक विश्रामा।।

अर्थात् पवित्र चैत्र का महीना था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित्‌ मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न बहुत सर्दी थी, न धूप थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था।

जो आनंद सिन्धु सुखरासी, सीकर तें त्रलोक सुधासी
सो सुखधाम राम अस नामा, अखिल लोक दायक विश्रामा।

अर्थात् जो आनंद के समुद्र और सुख के भंडार है, जिनके एक बूँद से तीनों लोक सुखी हो जाते हैं, उनका नाम राम है। वे सुख के धाम है और संपूर्ण लोकों को शांति देने वाले है। तुलसी दास कहते है 'राम' शब्द सुख-शांति के धाम का सूचक है। राम की प्राप्ति से ही सच्चे सुख और शांति की प्राप्ति होती है।


अमीर ख़ुसरो ने कहा है ...
शोखी-ए-हिन्दू ब बीं,कुदिन बबुर्द अज़ खास ओ नाम।
राम-ए-नाम हरगिज़ न शुद हर चंद गुफ्तम राम राम।।

अर्थात् हर आम और खास ये जान ले कि राम हिंद के शोख और शानदार शख्शियत हैं। राम मेरे मन में हैं। मै राम राम बोलूँगा जब भी बोलूँगा।

बुधवार, मार्च 21, 2012

Virginity test



Virginity Test
By Dania

You couldn't find the fear you sought in my eyes
So you spread my legs to see if you can find it in my vagina
What did you see in there?
Did you hear the screams of those you tortured?
Did you hear the souls of those you murdered?
Did you see my vagina stare right in your eyes and tell you to go fuck yourself?
Did you see my dream of a better life in its first trimester?
Did you see how resilient it is?
Did you see the sun of a brighter tomorrow shining from it?
I bet you couldn't look right into its bright light!
What did you see in there?
Did you feel it when my pussy curled its lips and spat in you face?
Pushing through the soft tissues and the discharge
Did you take a sneak peak at what's to come you way?
Did it scare you?
Did you see lady justice in there?
Did you see how my uterus took the shape of a balanced justice scale with truth on one side and fairness on the other?
Did you honestly think you were humiliating me?
Violating me?
Ohhh you are mistaken my pathetic dear!
There is nothing in the world I wanted more than you to see the rage in me
And there is no better place to see it than deep down where you were looking