गुरुवार, दिसंबर 04, 2008

Bhaiya in Mumbai

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। मुंबई और महाराष्ट्र की राजनीति करने वाले जो नेता उत्तर भारतीयों और मराठियों को अलग-अलग चश्मे से देखते हैं, उनके लिए यह आंखें खोलने वाली घटना हो सकती है। बीते सप्ताह जब मुंबई के सीएसटी रेलवे स्टेशन पर आतंकियों ने खूनी खेल शुरू किया, तब जिल्लू यादव वहीं तैनात थे। बनारस के मूल निवासी जिल्लू आरपीएफ में हेड कांस्टेबल हैं। उनके हाथ में सिर्फ एक डंडा था। आतंकी एके 47 से अंधाधुंध गोलियां बरसा रहे थे। टिकट काउंटर के अहाते के पास खड़े जिल्लू यह दृश्य देख एक बार तो दहल उठे। लेकिन जल्दी ही संभल भी गए। जिल्लू उस पल को याद करते हुए दैनिक जागरण से कहते हैं- डर तो मुझे भी लगा था, लेकिन तुरंत मन ने कहा कि यदि इन आतंकियों को रोका नहीं गया तो ये बहुत लोगों को मार डालेंगे। लेकिन जिल्लू करते भी तो क्या। आरपीएफ के पास हथियार की कमी के कारण इस बहादुर सिपाही के हाथ में सिर्फ एक डंडा था।

गलियारे के दूसरे छोर पर खड़े जीआरपी के एक सिपाही के हाथ में 303 राइफल तो थी, लेकिन डर के मारे उसके हाथ-पैर फूल गए थे। जिल्लू ने चिल्ला कर उससे गोली चलाने को कहा, लेकिन निशाना साधने के बजाय वह छुपने का रास्ता खोजने लगा। तब जिल्लू से नहीं रहा गया। वह जान जोखिम में डाल कर करीब 10 फुट चौड़ा गलियारा पार कर खुद उस सिपाही के पास जा पहुंचे और उसके हाथ से बंदूक झपट कर एक आतंकी पर निशाना साधकर दनादन दो फायर झोंक दिए। बंदूक में गोलियां समाप्त हो चुकी थीं। जबकि आतंकी फायरिंग का रुख उनकी ओर कर चुके थे। जिल्लू ने पहले तो इधर-उधर दूसरी बंदूक या कारतूस के लिए ताकझंाक की, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा तो सीधे वहां रखी एक कुर्सी उठा कर अपनी ओर बढ़ रहे एक आतंकी पर दे मारी। उसके दिमाग में तो बस यही था कि वह जिनकी जान की फिक्र कर रहे हैं, वे सब इंसान हैं। इस बीच, जिल्लू की हिम्मत देख स्टेशन पर तैनात जीआरपी व आरपीएफ के अन्य जवानों में भी जोश आ गया और दोतरफा गोलियां चलने लगीं। आरपीएफ इंस्पेक्टर खिरतकर और सब इंस्पेक्टर भोसले ने एक छोर से तो जीआरपी के दो जवानों ने दूसरे छोर से मोर्चा संभाल लिया था। जिल्लू की इस बहादुरी के लिए उन्हें रेलवे की तरफ से 10 लाख इनाम देने की घोषणा हुई है। इस पर उनकी प्रतिक्रिया पूछने पर जिल्लू सीधा सा जवाब देते हैं- उस वक्त मैंने जो भी किया, वह समय की जरूरत थी ।

..तो ये हैं अपने जिल्लू यादव

52 वर्षीय जिल्लू यादव उत्तर प्रदेश के बनारस जिले में हरहुआं ब्लाक स्थित गोसाईंपुर मोहाब गांव के मूल निवासी हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा मुंबई में ही हुई। अब परिवार के साथ डोंबीवली में बस गए हैं, लेकिन बड़ा बेटा गांव में ही रह कर जीवन बीमा एजेंट के रूप में काम करता है। बाकी दोनों बेटे साथ रहते हैं। एक दुकान चलाता है, दूसरा बारहवीं में पढ़ रहा है।