रविवार, मई 12, 2013

on mother's day

माँ तू अंधेरो मे मुझे रोशनी सी लगती है तुझ से मिलती हु जिन्दगी-२ सी लगती है ..

ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया, माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया।

मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं मां से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ।

ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता, मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी माँ सज़दे में रहती है। 

''फिर आना और मेरी कॊख से पैदा होना ...गर मैं बची रही'' (जमीन बोली थी पेड़ से)