रविवार, दिसंबर 30, 2012

On delhi rape

three poems which i came across and hit me hard

द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आयंगे

छोडो मेहँदी खडक संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाये बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे |

कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयेंगे |

कल तक केवल अँधा राजा,अब गूंगा बहरा भी है
होठ सील दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझायेंगे?
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे |



लो ख़त्म हुई आपाधापी, लो बंद हुई मारामारी
लो जीत गई सत्ता फिर से, लो हार गई फिर लाचारी
कल सात समंदर पार कहीं इक आह उठी थी दर्द भरी
तब से जनता है ख़फ़ा-ख़फ़ा, तब से सत्ता है डरी-डरी
सोचो अंतिम पल में उसका कैसा व्यवहार रहा होगा
नयनों में पीर रही होगी, लब पर धिक्कार रहा होगा
जब सुबह हुई तो ये दीखा, बस ग़ैरत के परखच्चे हैं
इक ओर अकड़ता शासन है, इक ओर बिलखते बच्चे है
जनता के आँसू मांग रहे, पीड़ा को कम होने तो दो
तुम और नहीं कुछ दे सकते, हमको मिलकर रोने तो दो
सड़कों की नाकाबंदी करके, ढोंग रचाते फिरते हो
अभिमन्यु की हत्या करके, अब शोक जताते फिरते हो
जो शासक अपनी जनता की रक्षा को है तैयार नहीं
उसको शासक कहलाने का, रत्ती भर भी अधिकार नहीं


समय चलते मोमबत्तियां, जल कर बुझ जाएंगी..

श्रद्धा में डाले पुष्प, जलहीन मुरझा जाएंगे..

स्वर विरोध के और शांति के अपनी प्रबलता खो देंगे..

किंतु निर्भयता की जलाई अग्नि हमारे हृदय को प्रज्जवलित करेगी..

जलहीन मुरझाए पुष्पों को हमारी अश्रु धाराएं जीवित रखेंगी...

दग्ध कंठ से 'दामिनी' की 'अमानत' आत्मा विश्व भर में गूंजेगी..

स्वर मेरे तुम, दल कुचल कर पीस न पाओगे..

मैं भारत की मां बहन या या बेटी हूं,

आदर और सत्कार की मैं हकदार हूं..

भारत देश हमारी माता है,

मेरी छोड़ो अपनी माता की तो पहचान बनो !!

गुरुवार, जुलाई 05, 2012

Piyush Mishra

इक बगल में चाँद होगा, इक बगल में रोटियां
इक बगल में नींद होगी, इक बगल में लोरियां
हम चाँद पे रोटी की चादर डालकर सो जायेंगे
और नींद से कह देंगे लोरी कल सुनाने आयेंगे

इक बगल में खनखनाती सीपियाँ हो जाएँगी
इक बगल में कुछ रुलाती सिसकियाँ हो जाएँगी
हम सीपियों में भरके सारे तारे छूके आयेंगे
और सिसकियों को गुदगुदी कर कर के यूँ बहलाएँगे

अब न तेरी सिसकियों पे कोई रोने आएगा
गम न कर जो आएगा वो फिर कभी न जायेगा
याद रख पर कोई अनहोनी नहीं तू लाएगी
लाएगी तो फिर कहानी और कुछ हो जाएगी

होनी और अनहोनी की परवाह किसे है मेरी जां
हद से ज्यादा ये ही होगा की यहीं मर जायेंगे
हम मौत को सपना बता कर उठ खड़े होंगे यहीं
और होनी को ठेंगा दिखाकर खिलखिलाते जायेंगे

रविवार, जुलाई 01, 2012

क्यों तू अच्छा लगता है

क्यों तू अच्छा लगता है
वक़्त मिला तो सोचेंगे
तुझ में क्या क्या देखा है
वक़्त मिला तो सोचेंगे
सारा शहर शानासाई का दावेदार तो है लेकिन
कौन हमारा अपना है
वक़्त मिला तो सोचेंगे
हमने उसको लिखा था
कुछ मिलने की तदबीर करो
उसने लिखकर भेजा है
वक़्त मिला तो सोचेंगे
मौसम, खुशबू, बादे-सबा, चाँद, शफक और तारों में
कौन तुमारे जैसा है
वक़्त मिला तो सोचेंगे
या तो अपने दिल की मानो
या फिर दुनिया वालों की
वक़्त मिला तो सोचेंगे
क्यों तू अच्छा लगता है
वक़्त मिला तो सोचेंगे

सोमवार, मई 28, 2012

गंगा की धार

विस्तार है अपार, प्रजा दोनो पार, करे हाहाकार, निशब्द सदा, ओ गंगा तुम, बहती हो क्यूँ ? नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई, निर्लज्ज भाव से, बहती हो क्यूँ ? इतिहास की पुकार, करे हुंकार, ओ गंगा की धार, निर्बल जन को, सबल संग्रामी, समग्रगामी, बनाती नहीं हो क्यूँ ? अनपढ जन, अक्षरहीन, अनगिन जन, भाग्य विहीन नेत्र विहिन देख मौन मौन हो क्यूँ ? व्यक्ति रहे, व्यक्ति केन्द्रित, सकल समाज, व्यक्तित्व रहित, निष्प्राण समाज को तोड़ती न क्यूँ ? तेजस्विनी, क्यों न रही तुम निश्चय इतना नहीं प्राणों में प्रेरणा देतीं न क्यूँ उन्मद अवनी, कुरुक्षेत्र बनी, गंगे जननी नवभारत में भीष्म रूपी सुत समरजयी जनती नहीं हो क्यूँ ?

बुधवार, मई 23, 2012

हॅपी-सॅड

Eeh..Silent movie, thoda sound de na! Tu sad sad kyon hai, happy-sad kyon nahi? Hum sad kyun hote hain? Kyonki mann bhaari hai, heavy heavy! Mann kab heavy, heavy hota hai? Jab mann ko koi hurt karta hai! Mann ko kon itna hurt kar sakta hai? Jo mann ke very very close hota hai! Mann ke very very close kon hota hai? Jiske sang mann very very happy feel karta hai! Happy tha, isliye sad hai na, So be happy-sad not sad-sad!”

ऐ..साइलेंट मूवी, थोड़ा साउंड दे ना! तू सॅड सॅड क्यों है, हॅपी-सॅड क्यों नही? हम सॅड क्यूँ होते हैं? क्योंकि मंन भारी है, हेवी हेवी! मंन कब हेवी, हेवी होता है? जब मंन को कोई हर्ट करता है! मॅन को कोन इतना हर्ट कर सकता है? जो मॅन के वेरी वेरी क्लोज़ होता है! मॅन के वेरी वेरी क्लोज़ कोन होता है? जिसके संग मॅन वेरी वेरी हॅपी फील करता है! हॅपी था, इसलिए सॅड है ना, सो बे हॅपी-सॅड नोट सॅड-सॅड!”

शुक्रवार, अप्रैल 06, 2012

Amzing Grace

by one of hte person who played an important role in abolisihing slave trade in 18th century
a former slave ship captain who became a repentent priest later
Amazing GraceAmazing grace! (how sweet the sound!)
That sav'd a wretch like me!
I once was lost, but now am found;
Was blind, but now I see.

'Twas grace that taught my heart to fear,
And grace my fears reliev'd;
How precious did that grace appear,
The hour I first believ'd!

Thro' many dangers, toils, and snares,
I have already come;
'Tis grace has brought me safe thus far,
And grace will lead me home.

The Lord has promis'd good to me,
His word my hope secures;
He will my shield and portion be,
As long as life endures.

Yes, when this flesh and heart shall fail,
And mortal life shall cease;
I shall possess, within the veil,
A life of joy and peace.

This earth shall soon dissolve like snow,
The sun forbear to shine;
But God, who call'd me here below,
Will be for ever mine.

John Newton

बुधवार, अप्रैल 04, 2012

some couplets

from orkut community
not mine

हर बात में सुकून हो यह हो नहीं सकता !
कोई बात कभी कलेजे के पार हो जाती !!

जुगनुओं ने अभी हिम्मत नहीं हारी है !
उनकी जंग अँधेरे के खिलाफ जारी है !!

सूखे पत्तों की तरह बिखरे थे हम...
किसी ने समेटा भी तो बस जलाने के लिए....

तुम मिले हो तो अब यही गम है......
प्यार ज्यादा है, ज़िन्दगी कम है....


तुम मिले हो तो अब यही गम है......
प्यार ज्यादा है, ज़िन्दगी कम है....

खुदा' होना था, तो हो जाते, किसने रोका था ?
कम से कम, दोस्ती का हुनर तो ज़िंदा रखते

तेरी खामोशी मुझे तेरी ओर खींचती है
मरी हर आह तेरी तकलीफ समझती है
मालूम है कि मजबूर है तू
फिर भी मेरी नज़र तेरे दीदार को तरसती है

कुछ तो मज़बूरियाँ रही होंगी, यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता
दिल ने तो कहना बहुत चाहा मगर, क्या करें हौसला नहीं होता...


आज उनका शायराना अंदाज देख के दिल तड़प उठा...
जो हमेशा हमको कहते थे क्या बेतुकी बाते करते हो..

इश्क-ए-बुतां करूँ , कि यादे खुदा करूँ
इस छोटी सी उम्र में मैं क्या-क्या खुदा करूँ


जिंदगी आधी बीत गयी चंद रिश्तों को निभाने मैं,
कुछ रूठने में कुछ मानाने मैं,
वक्त बदला रिश्ते बदले रिस्तो के अब तो मायने बदल गए,
अब बीतता है सारा वक्त,
उन अपनों को भुलाने मैं...♪

किसी से बात कोई आजकल नहीं होती
इसीलिए तो मुकम्म्ल ग़ज़ल नहीं होती

ग़ज़ल सी लगती है लेकिन ग़ज़ल नहीं होती
सभी की ज़िंदगी खिलता कँवल नहीं होती

तमाम उम्र तजुर्बात ये सिखाते हैं
कोई भी राह शुरु में सहल नहीं होती

मुझे भी उससे कोई बात अब नहीं करनी
अब उसकी ओर से जब तक पहल नहीं होती

वो जब भी हँसती है कितनी उदास लगती है
वो इक पहेली है जो मुझसे हल नहीं होती

आज फिर यह आँखें नम क्यूँ हैं,

जिसे पाया ही नहीं उसे खोने का गम क्यूँ है,

तुझसे मिलके बिछड़े तोह एहसास हुआ,

कि ज़िन्दगी इतनी कम क्यूँ है... :-(

देख ले ज़ालिम शिकारी ! माँ की ममता देख ले
देख ले चिड़िया तेरे दाने तलक तो आ गई

इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

जब कभी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है

शरारत न होती तो शिकायत न होती नैनो में किसी के नजाकत न होती

न होती बेकरारी न होते हम तन्हां अगर जहाँ में ये मोहब्बत न होती

हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी,
फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी,

सुबह से शाम तक बोझ ढ़ोता हुआ,
अपनी लाश का खुद मज़ार आदमी,

हर तरफ भागते दौड़ते रास्ते,
हर तरफ आदमी का शिकार आदमी,

रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ,
हर नए दिन नया इंतज़ार आदमी,

जिन्दगी का मुक्कदर सफ़र दर सफ़र,
आखिरी साँस तक बेकरार आदमी

रविवार, अप्रैल 01, 2012

फ़ासले

यह फ़ासले तेरी गलियों के हमसे तय ना हुए, हज़ार बार रुके हम हज़ार बार चले , ना जाने कौन सी मिट्टी वतन की मिट्टी थी, नज़र में धूल, जिगर में लिए गुबार चले - गुलज़ार

Ramnavami

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी। हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी। भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी।।

अर्थात् दीनों पर दया करने वाले, कौसल्याजी के हितकारी कृपालु प्रभु प्रकट हुए। मुनियों के मन को हरने वाले उनके अद्भुत रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गई। नेत्रों को आनंद देने वाला मेघ के समान श्याम शरीर था, चारों भुजाओं में अपने (खास) आयुध (धारण किए हुए) थे, (दिव्य) आभूषण और वनमाला पहने थे, बड़े-बड़े नेत्र थे। इस प्रकार शोभा के समुद्र तथा खर राक्षस को मारने वाले भगवान प्रकट हुए।

नौमी तिथि मधुमास पुनीता। । सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।
मध्य दिवस अति शीत न घामा। पावन काल लोक विश्रामा।।

अर्थात् पवित्र चैत्र का महीना था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित्‌ मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न बहुत सर्दी थी, न धूप थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था।

जो आनंद सिन्धु सुखरासी, सीकर तें त्रलोक सुधासी
सो सुखधाम राम अस नामा, अखिल लोक दायक विश्रामा।

अर्थात् जो आनंद के समुद्र और सुख के भंडार है, जिनके एक बूँद से तीनों लोक सुखी हो जाते हैं, उनका नाम राम है। वे सुख के धाम है और संपूर्ण लोकों को शांति देने वाले है। तुलसी दास कहते है 'राम' शब्द सुख-शांति के धाम का सूचक है। राम की प्राप्ति से ही सच्चे सुख और शांति की प्राप्ति होती है।


अमीर ख़ुसरो ने कहा है ...
शोखी-ए-हिन्दू ब बीं,कुदिन बबुर्द अज़ खास ओ नाम।
राम-ए-नाम हरगिज़ न शुद हर चंद गुफ्तम राम राम।।

अर्थात् हर आम और खास ये जान ले कि राम हिंद के शोख और शानदार शख्शियत हैं। राम मेरे मन में हैं। मै राम राम बोलूँगा जब भी बोलूँगा।

बुधवार, मार्च 21, 2012

Virginity test



Virginity Test
By Dania

You couldn't find the fear you sought in my eyes
So you spread my legs to see if you can find it in my vagina
What did you see in there?
Did you hear the screams of those you tortured?
Did you hear the souls of those you murdered?
Did you see my vagina stare right in your eyes and tell you to go fuck yourself?
Did you see my dream of a better life in its first trimester?
Did you see how resilient it is?
Did you see the sun of a brighter tomorrow shining from it?
I bet you couldn't look right into its bright light!
What did you see in there?
Did you feel it when my pussy curled its lips and spat in you face?
Pushing through the soft tissues and the discharge
Did you take a sneak peak at what's to come you way?
Did it scare you?
Did you see lady justice in there?
Did you see how my uterus took the shape of a balanced justice scale with truth on one side and fairness on the other?
Did you honestly think you were humiliating me?
Violating me?
Ohhh you are mistaken my pathetic dear!
There is nothing in the world I wanted more than you to see the rage in me
And there is no better place to see it than deep down where you were looking

तुम्हारा दिल या हमारा दिल है

ज़िहाले-मस्ती मक़ाम बे रंजिश
बेहाल हिजरा बेचारा दिल है
ज़िहाले-मस्ती मक़ाम बे रंजिश
बेहाल हिजरा बेचारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन... तुम्हारा दिल या हमारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन... तुम्हारा दिल या हमारा दिल है

वो आपके पहलू में ऐसे बैंठे
वो आपके पहलू में ऐसे बैंठे
की शामें रंगीन हो गयी है
की शामें रंगीन हो गयी है
की शामें रंगीन हो गयी है
ज़रा ज़रा सी खिली तबीयत ज़रा सी गमगीन हो गयी है
ज़रा ज़रा सी खिली तबीयत ज़रा सी गमगीन हो गयी है
ज़िहाले-मस्ती मक़ाम बे रंजिश
बेहाल हिजरा बेचारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन... तुम्हारा दिल या हमारा दिल है


कभी-कभी शाम ऐसे ढलती है
जैसे घूँघट उतर रहा है.उतर रहा
कभी-कभी शाम ऐसे ढलती है
जैसे घूँघट उतर रहा है.उतर रहा
तुम्हारे सीने से उठता धुआँ
हमारे सीने से गुज़र रहा है
तुम्हारे सीने से उठता धुआँ
हमारे सीने से गुज़र रहा है
ज़िहाले-मस्ती मक़ाम बे रंजिश
बेहाल हिजरा बेचारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन... तुम्हारा दिल या हमारा दिल है


यह शरम है या हया है,क्या है
नज़र उठाते ही झुक गयी है
नज़र उठाते ही झुक गयी है
तुम्हारी पलकों से गिर के शबमम
हमारी आँखों में रुक गयी है

तुम्हारी पलकों से गिर के शबमम
हमारी आँखों में रुक गयी है
ज़िहाले-मस्ती मक़ाम बे रंजिश
बेहाल हिजरा बेचारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन... तुम्हारा दिल या हमारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन... तुम्हारा दिल या हमारा दिल है

बुधवार, मार्च 07, 2012

सूर्य अष्टकम

आदि देव: नमस्तुभ्यम प्रसीद मम भास्कर । दिवाकर नमस्तुभ्यम प्रभाकर नमोअस्तु ते ॥
सप्त अश्व रथम आरूढम प्रचंडम कश्यप आत्मजम। श्वेतम पदमधरम देवम तम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥ लोहितम रथम आरूढम सर्वलोकम पितामहम । महा पाप हरम देवम त्वम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
त्रैगुण्यम च महाशूरम ब्रह्मा विष्णु महेश्वरम । महा पाप हरम देवम त्वम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
बृंहितम तेज: पुंजम च वायुम आकाशम एव च । प्रभुम च सर्वलोकानाम तम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
बन्धूक पुष्प संकाशम हार कुण्डल भूषितम । एक-चक्र-धरम देवम तम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
तम सूर्यम जगत कर्तारम महा तेज: प्रदीपनम । महापाप हरम देवम तम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
फल स्रुथी
सूर्य-अष्टकम पठेत नित्यम ग्रह-पीडा प्रणाशनम । अपुत्र: लभते पुत्रम दरिद्र: धनवान भवेत ॥
आमिषम मधुपानम च य: करोति रवे: दिने । सप्त जन्म भवेत रोगी प्रतिजन्म दरिद्रता ॥
स्त्री तैल मधु मांसानि य: त्यजेत तु रवेर दिने । न व्याधि: शोक दारिद्रयम सूर्यलोकम गच्छति

मंगलवार, मार्च 06, 2012

वीर

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालो

चट्टानों की छाती से दूध निकालो

है रुकी जहाँ भी धार शिलाएं तोड़ो

पीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ो

चढ़ तुंग शैल शिखरों पर सोम पियो रे

योगियों नहीं विजयी के सदृश जियो रे!





छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाये

मत झुको अनय पर भले व्योम फट जाये

दो बार नहीं यमराज कण्ठ धरता है

मरता है जो एक ही बार मरता है

तुम स्वयं मृत्यु के मुख पर चरण धरो रे

जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे!




स्वातंत्र्य जाति की लगन व्यक्ति की धुन है

बाहरी वस्तु यह नहीं भीतरी गुण है

वीरत्व छोड़ पर का मत चरण गहो रे

जो पड़े आन खुद ही सब आग सहो रे!




जब कभी अहम पर नियति चोट देती है

कुछ चीज़ अहम से बड़ी जन्म लेती है

नर पर जब भी भीषण विपत्ति आती है

वह उसे और दुर्धुर्ष बना जाती है

चोटें खाकर बिफरो, कुछ अधिक तनो रे

धधको स्फुलिंग में बढ़ अंगार बनो रे!





उद्देश्य जन्म का नहीं कीर्ति या धन है

सुख नहीं धर्म भी नहीं, न तो दर्शन है

विज्ञान ज्ञान बल नहीं, न तो चिंतन है

जीवन का अंतिम ध्येय स्वयं जीवन है

सबसे स्वतंत्र रस जो भी अनघ पियेगा

पूरा जीवन केवल वह वीर जियेगा!

रविवार, फ़रवरी 26, 2012

सनम तेरी कसम

कितने भी तू कर ले सितम, हस हसके सहेंगे हम - 2
यह प्यार ना होगा कम सनम तेरी कसम
हो, सनम तेरी कसम, सनम तेरी कसम
कितने भी तू कर ले सितम, हस हसके सहेंगे हम
यह प्यार ना होगा कम सनम तेरी कसम
हो, सनम तेरी कसम, सनम तेरी कसम
(जितना तडपाएगी मुझको, उतना ही तडपेगी तू भी
जो आज है आरज़ू मेरी वो कल तेरी आरज़ू होगी) - 2
यह झूठ नहीं सच है सनम, सनम तेरी कसम
हो, सनम तेरी कसम, सनम तेरी कसम
नफ़रत से देखना पहले अंदाज़ प्यार का है यह
कुछ है आँखों का रिश्ता, गुस्सा इकरार का है यह
बड़ा प्यारा है तेरा ज़ुल्‍म, सनम तेरी कसम
हो, सनम तेरी कसम, सनम तेरी कसम
कितने भी तू कर ले सितम, हास हसके सहेंगे हम - 2
यह प्यार ना होगा कम सनम तेरी कसम
हो, सनम तेरी कसम, सनम तेरी कसम




first import of south to Hindi movies - Kamal hasan
a young reena roy

मंगलवार, फ़रवरी 14, 2012

Love

बाँधो न नाव इस ठाँव, बन्धु ! / पूछेगा सारा गाँव, बन्धु !
यह घाट वही जिस पर हँसकर / वह कभी नहाती थी धँसकर
आँखें रह जातीं थीं फँसकर / कँपते थे दोनों पाँव, बन्धु !
वह हँसी बहुत कुछ कहती थी / फिर भी अपने में रहती थी
सबकी सुनती थी, सहती थी / देती थी सबको दाँव, बन्धु !

"कहाँ से लाएगा कासिद बयाँ मेरा ज़ुबाँ मेरी?
मज़ा था तब जो सुनते मेरे मुँह से दास्ताँ मेरी!"

सोलह डैने वाली चिड़िया / रंगारंग फूलों की गुड़िया
कहीं बैठकर लिखती होगी / चिट्ठी मेरे नाम
देव उठाती, सगुन मनाती / रात जलाती घी की बाती
दोनों हाथ दूर से झुककर / करती चाँद-प्रणाम
सुनो ! सुनो ! खेतों की रानी
तालों में घुटने भर पानी
लंबी रात खड़ी कुहरे में / खिड़की पल्ले थाम

चन्द्रमा उगा करवा चौथ का
तुमने भी अर्घ्य दिया होगा मेरे लिए
निर्जल उपवास किया होगा मेरे लिए
प्रियतम परदेस में न सो सका / भरी-भरी आँख ही सँजो सका

टूटे आस्तीन का बटन / या कुर्ते की खुले सिवन
कदम-कदम पर मौके, तुम्हें याद करने के
फूल नहीं बदले गुलदस्तों के / धूल मेजपोश पर जमी हुई
जहाँ-तहाँ पड़ी दस किताबों पर / घनी सौ उदासियाँ थमी हुईं
पोर-पोर टूटता बदन / कुछ कहने-सुनने का मन ... ...
अरसे से बदला रूमाल नहीं / चाभी क्या जाने रख दी कहाँ
दर्पण पर सिन्दूरी रेख नहीं / चीज नहीं मिलती रख दो जहाँ
चौके की धुआँती घुटन / सुग्गे की सुमिरनी रटन ... ...
किसे पड़ी, मछली-सी तडप जाय / गाल शेव करने में छिल गया
तुमने जो कलम एक रोपी थी / उसमें पहला गुलाब खिल गया
पत्र की प्रतीक्षा के क्षण / शहद की शराब की चुभन
कदम-कदम पर मौके / तुम्हें याद करने के


मैंने युग का सारा तमस पिया है, सच है
लेकिन तुमको प्यार किया है, यह भी सच है

घर पीछे तालाब / उगे हैं लाल कमल के ढेर
तुम आँखों में उग आयी हो / प्रात गंध की बेर
यह मौसम कितना उदास लगता है - तुम बिन

रेत से लिखो या जलधार से लिखो
मेरा है नाम, इसे प्यार से लिखो

शनिवार, फ़रवरी 04, 2012

Religion

Well Mao said religion is opium

and we have all read kabir's jibes on mullahs and pundits in our textbooks

i had read last lines of this poem of nida fazli at many places this is the first time got a chance to read it completely


"Bachcha bola dekhkar, masjid aalishaan
Allah tere ek ko, itna bada makaan?"

"Andar moorat par chadhe, ghee, poori, mishthan
Mandir ke baahar khada, Eeshwar maange daan"

"Ghar se masjid hai bahut door
Chalo yun kar lein
Kisi rote hue bachche ko
Hansaaya jaaye"

"बच्चा बोला देखकर, मस्जिद आलीशान
अल्लाह तेरे एक को, इतना बड़ा मकान?"

"अंदर मूरत पर चढ़े, घी, पूरी, मिष्ठान
मंदिर के बाहर खड़ा, ईश्वर माँगे दान"

"घर से मस्जिद है बहुत दूर
चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को
हंसाया जाए"

Days of office

Not mine

but by someone named Kanupriya

एक को 'ग़बन' के सफहों के बीच बुक-मार्क बना के रख छोड़ा
कुछ को कॉफ़ी के संग निगल लिया
कईयों को अख़बार की तरह -
सरसरी निगाह से देख भर के किनारे रख दिया

कुछ दिन अब भी कनाट प्लेस के सर्कल्स के चक्कर ही लगा रहे हैं
दफ्तर के दिन, हम बस ऐसे बिता रहे हैं!

Office Days

One is now a bookmark for 'Ghaban'
Some were gulped down with a hurried cappuccino
Many were just glanced upon like a newspaper, and cast aside

Some days are still hanging around at Connaught Place
This is how I'm spending, my office days!

शुक्रवार, फ़रवरी 03, 2012

Kajrare Kajrare (khol lined eyes)

A beautiful piece of poetry
specially reference to kali kamli or ballimaran
running metaphor of angdayi is also too great

http://gulzar101.blogspot.in/2012/02/kajraare-bunty-aur-babli.html#comment-form

and from my college

http://www.youtube.com/watch?v=ZVtpV3PHIHg

शनिवार, जनवरी 28, 2012

बगर्यो बसंत है

कूलन में, केलिन में, कछारन में, कुंजन में,
क्यारिन में, कलित-कलीन किलकंत हैं।
कहै पद्माकर परागन में, पौन हूँ में,
पानन में, पिकन में, पलासन पगंत है।
द्वार में, दिसान में, दुनी में, देस-देसन में,
देखो दीप-दीपन में, दीपत दिगंत है।

सोमवार, जनवरी 02, 2012

La Mer (Sea)

Just watched this movie tinker tailor soldier spy, came to know about wonderful book series and also loved the song in closing credits and it is a delightful song

La mer,
convoi danseur,
le long des golfes claires,
a des reflets d'argent.

La mer,
des reflets changeants
sous la pluie.

La mer,
oh, ciel d'ø‡,
au fond, ses blancs moutons
avec les anges sous Pierre.

La mer,
vergeure d'assises
unfin�. oh, oui, ?eh!

Voyait
prÙrdes ø~ngs,
ses grands roseaux mouilløK
Voyait
ses oiseaux blancs
et ses maisons rouilløK

La mer,
lise, averse,
le long des golfes claires
et d'une chanson d'amour.

La mer,
oh, a versð”en mon coeur
pour la vie... La vie

The sea,
convoy dancer
bays along the clear,
a silver reflections.

The sea,
changing reflections
in the rain.

The sea,
oh, heaven ‡ ø,
basically, its white sheep
with the angels in Pierre.

The sea,
Vergeur Assize
unfin. oh, yes, eh?

see
prÙrdes ø ~ ngs,
its tall reeds mouilløK
see
its white birds
and houses rouilløK

The sea,
read showering
along the clear gulfs
and a love song.

The sea,
oh, a versð "in my heart
for life ... life